‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं
क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिव्हाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नम: स्वाहा
|’
यह मंत्र १९ जून २०१९ को दोपहर १:३० से रात्रि ११:४५ बजे तक |
अथवा
१६ जुलाई २०१९
को रात्रि ८:४३ से रात्रि ११:४५ बजे तक
१०८ बार जपें और फिर मंत्रजप के बाद उसी
दिन रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें | जिसकी
जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अदभुत विद्वत्ता की
प्राप्ति होगी |
ध्यान दें : गुजरात व
महाराष्ट्र में यह योग केवल १६ जुलाई को ही है |
ऋषिप्रसाद
–मई २०१९ से
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