कम-से-कम समय में
साधकों की आधिभौतिक, आधिदैविक व आध्यात्मिक
उन्नति अधिक-से-अधिक व तेजी से हो इस हेतु पूज्य बापूजी नित्य नवीं प्रयोग
व साधना की नयी-नयी युक्तियाँ बताते हैं | कुछ ऐसी तिथियाँ, पर्व व योग होते हैं
जिनमें ध्यान, जप, सत्कर्म का हजारों,
लाखों, करोड़ों गुना ज्यादा फल होता है, उनके बारें में बताते हुए पूज्य
बापूजी कहते हैनं : कुछ-कुछ ऐसे ग्रह, नक्षत्र, तिथियाँ होते हैं कि उनमें किये
गये जप से बड़ा भारी प्रभाव पड़ता है | उनमें सारे काम छोडकर जप की कमाई करनी चाहिए |
जो समय बरबाद करता है समय उसको भी बरबाद कर देता है | इसलिए समय का खूब सदुपयोग
करना चाहिए |
सूर्यग्रहण में एक
बार जपो तो १० लाख गुना और चंद्रग्रहण में १ लाख गुना फल होता है | और यदि गंगाजल
पास में हो तो चंद्रग्रहण में १ करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में १० करोड़ गुना फल होता
है |
भगवान वेदव्यासजी ने
कहा है : “सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण हो और गंगा का किनारा हो और रुद्राक्ष की
माला धारण की हो तो जप अनंत गुना फल देता हैं |”
जब भी सूर्यग्रहण,
चन्द्रग्रहण आदि आये तो आप गंगाजी का दर्शन कर लीजिये और ‘मेरे को अध्यात्म-तत्त्व
की प्राप्ति हो | ॐ ॐ श्री परमात्मने नम: |’ ऐसा संकल्प करके परमात्मा के नाम का
जप करें |
[पराशर स्मृति
(१२.२७) के अनुसार ‘सूर्यग्रहण व चन्द्रग्रहण में स्नान, दान, जप आदि सत्कर्मो में
सारा (साधारण नदी, तालाब आदि का ) जल गंगा के जल के समान माना गया है |’ गंगा-किनारे
से दूरस्थ क्षेत्रों में रहनेवाले लोग इस शास्त्रवचन का लाभ उठा सकते हैं |-
संकलक]
मंगलवार की चतुर्थी,
बुधवारी अष्टमी, रविवार की सप्तमी या सोमवती अमावस्या हो तो उस दिन किये गये
जप-तप-दान का सूर्यग्रहण में किये गये जप-तप-दान जैसा (१० लाख गुना) फल होता है |
विष्णुपदी संक्रान्ति
में अगर जप किया जाय तो उसका प्रभाव लाख गुना व षडशीति संक्रांति में ८६००० गुना
होता है |
रविपुष्यामृत योग और
गुरुपुष्यामृत योग मंत्रसिद्धि देनेवाले हैं |
उत्तरायण व दक्षिणायन
के दिन जो भी सत्कर्म करते हैं वे कोटि-कोटि गुना अधिक व अक्षय पुण्यदायी होते हैं
|
सूर्य- संक्रांति में
यदि महाआर्द्रा नक्षत्र का संयोग हो तो उस समय १ बार ॐकार जपें तो १ करोड़ गुना और
चतुर्दशी –आर्द्रा नक्षत्र योग में अक्षय फल होता है |
जन्माष्टमी, नरक
चतुर्दशी या दीपावली, शिवरात्रि और होली – ये महारात्रियाँ हैं | इनमें किया गया
जप-तप-ध्यान अनंत गुना फल देता है | अत: इनमें अहोभाव से भगवान् की स्मृति करें |
इन रात्रियों में किया गया भगवत्सुमिरन पापों के समूह को नाश करके उत्तम विवेक
देता हैं |
एकादशी का व्रत और उस
दिन भगवद्ध्यान और जप करने से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकता हैं |
ऋषिप्रसाद
- मई २०१९ से
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