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Sunday, May 12, 2019

करोड़ काम छोडकर भी जप-सुमिरन जरुर करना


कम-से-कम समय में साधकों की आधिभौतिक, आधिदैविक व आध्यात्मिक  उन्नति अधिक-से-अधिक व तेजी से हो इस हेतु पूज्य बापूजी नित्य नवीं प्रयोग व साधना की नयी-नयी युक्तियाँ बताते हैं | कुछ ऐसी तिथियाँ, पर्व व योग होते हैं जिनमें ध्यान, जप, सत्कर्म का हजारों,  लाखों, करोड़ों गुना ज्यादा फल होता है, उनके बारें में बताते हुए पूज्य बापूजी कहते हैनं : कुछ-कुछ ऐसे ग्रह, नक्षत्र, तिथियाँ होते हैं कि उनमें किये गये जप से बड़ा भारी प्रभाव पड़ता है | उनमें सारे काम छोडकर जप की कमाई करनी चाहिए | जो समय बरबाद करता है समय उसको भी बरबाद कर देता है | इसलिए समय का खूब सदुपयोग करना चाहिए |

सूर्यग्रहण में एक बार जपो तो १० लाख गुना और चंद्रग्रहण में १ लाख गुना फल होता है | और यदि गंगाजल पास में हो तो चंद्रग्रहण में १ करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में १० करोड़ गुना फल होता है |

भगवान वेदव्यासजी ने कहा है : “सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण हो और गंगा का किनारा हो और रुद्राक्ष की माला धारण की हो तो जप अनंत गुना फल देता हैं |”

जब भी सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण आदि आये तो आप गंगाजी का दर्शन कर लीजिये और ‘मेरे को अध्यात्म-तत्त्व की प्राप्ति हो | ॐ ॐ श्री परमात्मने नम: |’ ऐसा संकल्प करके परमात्मा के नाम का जप करें |

[पराशर स्मृति (१२.२७) के अनुसार ‘सूर्यग्रहण व चन्द्रग्रहण में स्नान, दान, जप आदि सत्कर्मो में सारा (साधारण नदी, तालाब आदि का ) जल गंगा के जल के समान माना गया है |’ गंगा-किनारे से दूरस्थ क्षेत्रों में रहनेवाले लोग इस शास्त्रवचन का लाभ उठा सकते हैं |- संकलक]

मंगलवार की चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी, रविवार की सप्तमी या सोमवती अमावस्या हो तो उस दिन किये गये जप-तप-दान का सूर्यग्रहण में किये गये जप-तप-दान जैसा (१० लाख गुना) फल होता है |

विष्णुपदी संक्रान्ति में अगर जप किया जाय तो उसका प्रभाव लाख गुना व षडशीति संक्रांति में ८६००० गुना होता है |

रविपुष्यामृत योग और गुरुपुष्यामृत योग मंत्रसिद्धि देनेवाले हैं |

उत्तरायण व दक्षिणायन के दिन जो भी सत्कर्म करते हैं वे कोटि-कोटि गुना अधिक व अक्षय पुण्यदायी होते हैं |

सूर्य- संक्रांति में यदि महाआर्द्रा नक्षत्र का संयोग हो तो उस समय १ बार ॐकार जपें तो १ करोड़ गुना और चतुर्दशी –आर्द्रा नक्षत्र योग में अक्षय फल होता है |

जन्माष्टमी, नरक चतुर्दशी या दीपावली, शिवरात्रि और होली – ये महारात्रियाँ हैं | इनमें किया गया जप-तप-ध्यान अनंत गुना फल देता है | अत: इनमें अहोभाव से भगवान् की स्मृति करें | इन रात्रियों में किया गया भगवत्सुमिरन पापों के समूह को नाश करके उत्तम विवेक देता हैं |

एकादशी का व्रत और उस दिन भगवद्ध्यान और जप करने से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकता हैं |

ऋषिप्रसाद - मई २०१९ से     

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