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Thursday, May 30, 2019

पकी इमली के सेवन के लाभ


ग्रीष्म ऋतू में शरीर में क्षारधर्मिता की वृद्धि होती है | उसके संतुलन के लिए प्रकृति में स्वाभाविक रूप से तदनुकूल फल उत्पन्न होते हैं | ऐसा ही ग्रीष्मकालीन गुणकारी प्राकृतिक उपहार है इमली | भोजन से पहले इसे चूसकर खाने से हमे कई लाभ प्राप्त होते हैं |


१] मंदाग्नि के इस मौसम में इमली जठराग्नि को बढ़कर भूख खुलकर लगाती है | जी मिचलाना, उलटी, पेट में जलन आदि में राहत दिलाती है |

२] इमली की यह एक बड़ी खासियत है कि एक ओर जहाँ यह स्वयं आसानी से पचती है, वहीँ दूसरी ओर भोजन को बड़ी आसानी से पचाती है |

३] भोजन के प्रति अरुचि के इस मौसम में यह अपने रोचक गुण से भोजन में रूचि बढ़ा देती है | चूसकर खाने से दाँत, जीभ व मसूड़े स्वच्छ होकर मुँह की दुर्गंध भी दूर हो जाती है |

४] यह अपने प्यास-शमन के गुण से गर्मियों में बार-बार पानी पीने पर भी न बुझनेवाली प्यास का शमन करती है |

५] अपने सौम्य विरेचक गुण से यह पेट साफ रखने एवं कब्ज-निवारण में मदद करती है |

६] यह शारीरिक एवं मानसिक थकावट को दूर करती है |

७] यह कफ व वात शामक होती है |

मात्रा : आधा इंच का टुकड़ा से लेकर इमली तक अपनी प्रकृति एवं आवश्यकता के अनुसार भोजन से पहले चूस के खा सकते हैं |

विशेष : इसके सेवन से दाँत खट्टे हो जाते हों तो सेंधा नमक के साथ सेवन करें |

सावधानियाँ :
· त्वचा-विकार, जोड़ों का दर्द या मांसपेशियों में दर्द, सूजन, सर्दी-जुकाम, खाँसी, जलन,अम्लपित्त(hyperacidity), गलतुंडिका (tonsillitis) की सूजन में या दाँतों की कोई तकलीफ हो तो इमली का सेवन न करें |
·      इसे दाँतों से काटकर न खायें |
·    इमली उष्ण प्रकृति की होने से इसे अधिक मात्रा में व रोज न खायें | रविवार उष्ण होता है, अत: उस दिन नहीं लें |
·      कच्ची इमली न खायें |
लोककल्याणसेतु – मई २०१९ से


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