ग्रीष्म ऋतू में शरीर
में क्षारधर्मिता की वृद्धि होती है | उसके संतुलन के लिए प्रकृति में स्वाभाविक
रूप से तदनुकूल फल उत्पन्न होते हैं | ऐसा ही ग्रीष्मकालीन गुणकारी प्राकृतिक
उपहार है इमली | भोजन से पहले इसे चूसकर खाने से हमे कई लाभ प्राप्त होते हैं |
१] मंदाग्नि के इस
मौसम में इमली जठराग्नि को बढ़कर भूख खुलकर लगाती है | जी मिचलाना, उलटी, पेट में
जलन आदि में राहत दिलाती है |
२] इमली की यह एक बड़ी
खासियत है कि एक ओर जहाँ यह स्वयं आसानी से पचती है, वहीँ दूसरी ओर भोजन को बड़ी
आसानी से पचाती है |
३] भोजन के प्रति
अरुचि के इस मौसम में यह अपने रोचक गुण से भोजन में रूचि बढ़ा देती है | चूसकर खाने
से दाँत, जीभ व मसूड़े स्वच्छ होकर मुँह की दुर्गंध भी दूर हो जाती है |
४] यह अपने प्यास-शमन
के गुण से गर्मियों में बार-बार पानी पीने पर भी न बुझनेवाली प्यास का शमन करती है
|
५] अपने सौम्य विरेचक
गुण से यह पेट साफ रखने एवं कब्ज-निवारण में मदद करती है |
६] यह शारीरिक एवं
मानसिक थकावट को दूर करती है |
७] यह कफ व वात शामक
होती है |
मात्रा
: आधा इंच का टुकड़ा से लेकर इमली तक अपनी प्रकृति एवं
आवश्यकता के अनुसार भोजन से पहले चूस के खा सकते हैं |
विशेष
: इसके सेवन से दाँत खट्टे हो जाते हों तो सेंधा नमक के
साथ सेवन करें |
सावधानियाँ :
· त्वचा-विकार, जोड़ों का दर्द
या मांसपेशियों में दर्द, सूजन, सर्दी-जुकाम, खाँसी, जलन,अम्लपित्त(hyperacidity), गलतुंडिका (tonsillitis) की सूजन में या दाँतों की
कोई तकलीफ हो तो इमली का सेवन न करें |
·
इसे दाँतों से काटकर न खायें
|
· इमली उष्ण प्रकृति की होने
से इसे अधिक मात्रा में व रोज न खायें | रविवार उष्ण होता है, अत: उस दिन नहीं लें
|
·
कच्ची इमली न खायें |
लोककल्याणसेतु
– मई २०१९ से
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