‘स्कंद पुराण’ (का.खं. :२१.६६) में आता है :
तुलसी यस्य भवने प्रत्यहं परिपूज्यते |
तद् गृहं नोपसर्पंन्ति कदाचित यमकिंकरा: ||
‘जिस घर में तुलसी – पौधा विराजित हो, लगाया गया हो, पूजित हो, उस घर में
यमदूत कभी भी नहीं आ सकते |’
अर्थात जहाँ तुलसी – पौधा रोपा गया है, वहाँ बीमारियाँ नहीं हो सकतीं क्योंकि
तुलसी – पौधा अपने आसपास के समस्त रोगाणुओं, विषाणुओं को नष्ट कर देता है एवं २४
घंटे शुद्ध हवा देता है | वहाँ निरोगता रहती है, साथ ही वहाँ सर्प, बिच्छू,
कीड़े-मकोड़े आदि नहीं फटकते | इस प्रकार तीर्थ जैसा पावन वह स्थान सब प्रकार से
सुरक्षित रहकर निवास-योग्य माना जाता है | वहाँ दीर्घायु प्राप्त होती है |
पूज्य बापूजी कहते हैं : ‘तुलसी निर्दोष है | सुबह तुलसी के दर्शन करो | उसके
आगे बैठे के लम्बे श्वास लो और छोड़ो, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, दमा दूर रहेगा अथवा
दमे की बीमारी की सम्भावना कम हो जायेगी | तुलसी को स्पर्श करके आती हुई हवा
रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है और तमाम रोग व हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है |’
तुलसी माहात्म्य
‘ब्रह्मवैवर्त पुराण’ (प्रकृति खण्ड : २१.३४ ) में भगवान नारायण कहते हैं :
‘हे वरानने ! तीनों लोकों में देव – पूजन के उपयोग में आनेवाले सभी पुष्पों और
पत्रों में तुलसी प्रधान होगी |’
‘श्रीमद् देवी भागवत’ (९.२५.४२-४३ ) में भी आता है : ‘पुष्पों में किसीसे भी
जिनकी तुलना नहीं है, जिनका महत्त्व वेदों में वर्णित है, जो सभी अवस्थाओं में सदा
पवित्र बनी रहती है, जो तुलसी नास से प्रसिद्ध हैं, जो भगवान के लिए शिरोधार्य
हैं, सबकी अभीष्ट हैं तथा जो सम्पूर्ण जगत को पवित्र करनेवाली है, उन जीवन्मुक्त,
मुक्तिदायिनी तथा श्रीहरि की भक्ति प्रदान करनेवाली भगवती तुलसी की मैं उपासना
करता हूँ |’
तुलसी रोपने तथा उसे दूध से सींचने पर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है |
तुलसी की मिट्टी का तिलक लगाने से तेजस्विता बढ़ती है |
पूज्यश्री कहते हैं : ‘तुलसी के पत्ते त्रिदोषनाशक है, इनका कोई दुष्प्रभाव
नहीं है | ५ – ७ पत्ते रोज ले सकते हैं | तुलसी दिल – दिमाग को बहुत फायदा करती है
| मानो ईश्वर की तरफ से आरोग्य की संजीवनी है “संजीवनी तुलसी” |
भोजन के पहले अथवा बाद में तुलसी – पत्ते लेते हो तो स्वास्थ्य के लिए, वायु व
कफ शमन के लिए तुलसी औषधि का काम करती है | खड़े – खड़े या चलते – चलते तुलसी –
पत्ते खा सकते हैं लेकिन और चीज खाना शास्त्र – विहित नहीं है, अपने हित में नहीं
है |
दूध के साथ तुलसी वर्जित है, बाकी पानी, दही, भोजन आदि हर चीज के साथ तुलसी ले
सकतें हैं | रविवार को तुलसी ताप उत्पन्न करती है, इसलिए रविवार को तुलसी न तोड़ें,
न खायें | ७ दिन तक तुलसी – पत्ते बासी नहीं माने जाते |
विज्ञान का आविष्कार इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुआ है कि तुलसी में
विद्युत् – तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत् – तत्त्व को सजग रखने का अद्भुत
सामर्थ्य है | थोडा तुलसी – रस लेकर तेल की तरह थोड़ी मालिश करें तो विद्युत् –
प्रवाह अच्छा चलेगा |
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद, दिसम्बर २०१६ से