यह भक्ति बढ़ानेवाली, कर्मयोग की शिक्षा देनेवाली, ज्ञानप्रदायिनी, बिगड़े काज
सँवारनेवाली पूज्य बापूजी के जीवनरूपी सागर की सारस्वरूप सुंदर छंदमय पद्म – रचना
है |
यह पतितपावनी, त्रिभुवनतारिणी गाथा आत्मिक शीतलता, भगवद् रस, संयम – सदाचार
एवं एकाग्रता का लाभ दिलानेवाली, ईश्वरप्राप्ति के लिए उमंग, उत्साह व आत्मविश्वास
बढ़ानेवाली है |
इसका पाठ करने से बालक, वृद्ध, नर – नारी – सभी प्रेरणा पाते हैं |
यह मनोकामनाओं की पूर्ति तो करती ही है, साथ ही मानव से महेश्वर तक की यात्रा शुरू
कराती है | इस गाथा को प्रेम से गाइये और शांत, तन्मय होते जाइये |
उपरोक्त सत्साहित्य आप अपने नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम या समिति के
सेवाकेंद्र से प्राप्त कर सकते है |
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद , दिसम्बर २०१६ से
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