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Wednesday, December 14, 2016

औषधीय गुणों से परिपूर्ण : पारिजात

पारिजात या हरसिंगार को देवलोक का वृक्ष कहा जाता है | कहते हैं कि समुद्र – मंथन के समय विभिन्न रत्नों के साथ – साथ यह वृक्ष भी प्रकट हुआ था | इसकी छाया में विश्राम करनेवाले का बुद्धिबल बढ़ता है | यह वृक्ष नकारात्मक ऊर्जा को भी हटाता है | इसके फूल अत्यंत सुकुमार व सुगंधित होते हैं जो दिमाग को शीतलता व शक्ति प्रदान करते हैं | हो सकते तो अपने घर के आसपास इस उपयोगी वृक्ष को लगाना चाहिए |
पारिजात ज्वर व कृमि नाशक, खाँसी – कफ को दूर करनेवाला, यकृत की कार्यशीलता को बढ़ानेवाला, पेट साफ़ करनेवाला तथा संधिवात, गठिया व चर्मरोगों में लाभदायक है |

औषधीय प्रयोग :

पुराना बुखार : इसके ७ - ८ कोमल पत्तों के रस में ५ – १० मि. ली. अदरक का रस व शहद मिलाकर सुबह – शाम लेने से पुराने बुखार में फायदा होता है |

बच्चों के पेट में कृमि : इसके ७ – ८ पत्तों के रस में थोडा – सा गुड़ मिला के पिलाने से कृमि मल के साथ बाहर आ जाते हैं या मर जाते हैं |

जलन व सुखी खाँसी : इसके पत्तों के रस में मिश्री मिला के पिलाने से पित्त के कारण होनेवाली जलन आदि विकार तथा शहद मिला के पिलाने से सुखी खाँसी मिटती हैं |

बुखार का अनुभूत प्रयोग : ३० – ३५ पत्तों के रस में शहद मिलाकर ३ दिन तक लेने से बुखार में लाभ होता है |

सायटिका व स्लिप्ड डिस्क : पारिजात के ६० – ७० ग्राम पत्ते साफ़ करके ३०० मि. ली. पानी में उबालें | २०० मि.ली. पानी शेष रहने पर छान के रख लें | २५ – ५० मि.ग्रा. केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें | १०० मि.ली. सुबह – शाम पियें | १५ दिन तक पीने से सायटिका जड़ से चला जाता है | स्लिप्ड डिस्क में भी यह प्रयोग रामबाण उपाय है | वसंत ऋतू में ये पत्ते गुणहीन होते हैं अत: यह प्रयोग वसंत ऋतू में लाभ नहीं करता |

संधिवात, जोड़ों का दर्द, गठिया : पारिजात की ५ से ११ पत्तियाँ पीस के एक गिलास पानी में उबालें, आधा पानी शेष रहने पर सुबह खाली पेट ३ महीने तक लगातार लें | पुराने संधिवात, जोड़ों के दर्द, गठिया में यह प्रयोग अमृत की तरह लाभकारी है | अगर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ तो १० – १५ दिन छोडकर पुन: ३ महीने तक करें | इस प्रयोग से अन्य कारणों से शरीर में होनेवाली पीड़ा में भी राहत मिलती है | पत्थकर आहार लें |

चिकनगुनिया का बुखार होने पर बुखार ठीक होने के बाद भी दर्द नहीं जाता | ऐसे में १० – १५ दिन तक पारिजात के पत्तों का यह काढ़ा बहुत उपयोगी है |


स्त्रोत – ऋषिप्रसाद , दिसम्बर २०१६ से 

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