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Thursday, February 7, 2019

प्राकृतिक शुद्धिकारक व स्वास्थ्यवर्धक मूली


आयुर्वेद के अनुसार ताज़ी, कोमल, छोटी मूली रुचिकारक, भूखवर्धक, त्रिदोषशामक, पचने में हलकी, तीखी, ह्रदय के लिए हितकर तथा गले के रोगों में लाभदायी है | यह उत्तम पाचक, मल-मूत्र की रुकावट को दूर करनेवाली व कंठशुद्धिकर है | बड़ी, पुरानी मूली पचने में भारी, उष्ण, रुक्ष और त्रिदोषकारक होती है | मूली के पत्ते व बीज भी औषधीय गुणों से युक्त होते हैं |

आधुनिक अनुसंधानानुसार मूली में कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, मैग्नेशियम, मैंगनीज, लौह आदि खनिज पर्याप्त मात्रा में होने के साथ रेशे(fibres), विटामिन ‘सी’ तथा अन्य पोषक तत्त्व पाये जाते हैं |

मूली मधुमेह (diabetes) के रोगियों के लिए लाभदायी है | यह गुर्दों (kidneys) के स्वास्थ्य के लिए अच्छी रहती है और शरीर से विषैले तत्त्वों को निकालने में भी कारगर है | इसे कच्ची हल्दी के साथ खाने से बवासीर में लाभ होता है | इसका ताजा रस पीने से पथरी एवं मूत्रसंबंधी रोगों में राहत मिलती है |अफरा में मूली के पत्तों का रस विशेषरूप से उपयोगी होता है | इसके नियमित सेवनसे पुराना कब्ज दूर होता है |

पेट के लिए उत्तम
मूली पेट व यकृत के रोगों में बहुत लाभकारी है अत: इसे पेट व यकृत हेतु सबसे अच्छा ‘प्राकृतिक शुद्धिकारक’ माना गया है | अधिक मात्रा में रेशे होने से यह मल को मुलायम करने और पाचनक्रिया को बढ़िया रखने में मदद करती है |
  • मूली व उसके पत्ते, खीरा या ककड़ी व टमाटर काट लें | इसमें नमक, काली मिर्च का चूर्ण व नींबू मिला के खायें | इससे पाचन-संबंधी अनेक समस्याओं तथा कब्ज में लाभ होता है |

औषधीय प्रयोग
१] पेशाब व शौच की समस्या : मूली के पत्तों का २०-४० मि.ली. रस सुबह-शाम सेवन करने से शौच साफ़ आता है और पेशाब खुलकर आता है, इससे वजन घटाने में मदद मिलती है |

२] पेट के रोग : मूली के ५० मि.ली. रस में अदरक का आधा चम्मच व नींबू का २ चम्मच रस मिलाकर नियमित पीने से भूख बढ़ती है | पेट में भारीपन महसूस हो रहा हो तो  मूली के १५-२० मि.ली. रस में नमक मिला के पीने से लाभ होता है |

३] पथरी : बार-बार पथरी होने की समस्या में मूली के पत्तों के ५० मि.ली. रस में १ चम्मच धनिया-चूर्ण मिला के लगातार ३ महीने लेने से पथरी होने की सम्भावना नहीं रहती है | साथ में पथ्य-पालन आवश्यक है |

४] सूजन : मूली के १-२ ग्राम बीज का ५ ग्राम तिल के साथ दिन में २ बार सेवन करने से सभी प्रकार की सूजन में लाभ होता है |

सावधानी : छोटी, पतली व कोमल मूली का ही सेवन करना चाहिए | मोटी, पकी हुई मूली नहीं खानी चाहिए | इसे रात में व दूध के साथ नहीं खाना चाहिए | माघ मॉस में ( २१ जनवरी से १९ फरवरी २०१९ तक ) मूली खाना वर्जित है |

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०१९ से

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