Search This Blog

Monday, February 25, 2019

लौकी का विविध प्रकार से लाभ


लौकी पौष्टिक, कफ-पित्तशामक, रुचिकर, वीर्यवर्धक, शीतल, रेचक, ह्रदय के लिए बलप्रद तथा गर्भपोषक है | यह विटामिन ए, बी, सी, ई , के तथा लौह, पोटैशियम, मैंगनीज आदि खनिज तत्त्वों से भरपूर है |

लौकी के कुछ विशेष गुण
ü इसमें लगभग ९० प्रतिशत पानी होने से यह प्राकृतिक रूप से शरीर में जलीय अंश की पूर्ति करने में सहायक है तथा गर्मी-संबंधी बीमारियों जैसे नाक से खून बहना, मुँह के छाले, फुंसी, मुँहासे, अल्सर आदि में बहुत लाभकारी है |
ü पानी व रेशों की प्रचुरता के कारण यह पाचनतंत्र की सफाई में सहाय्यक है | इसका सेवन कब्ज, पेट फूलने की समस्या में तथा वजन नियंत्रित करने में लाभदायी है | कब्ज, बवासीर की पुरानी समस्या व अम्लपित्त में कोमल लौकी की सब्जी का नियमित सेवन विशेष लाभदायी है |
ü दूध मिलाये बिना बनाया हुआ लौकी का हलवा मस्तिष्क व शरीर की पुष्टि में खूब लाभदायी है | यह शुक्र धातु की क्षीणता से उत्पन्न दौर्बल्य में विशेष हितकारी है |

लौकी का रस
लौकी का रस गर्मीशामक है तथा ह्रदय की समस्याओं, पाचन व मूत्र संबंधी विकारों, पथरी व अन्य कई बीमारियों में भी लाभकारी है |



कुछ औषधीय प्रयोग :
१] फटी हुई एड़ियाँ : एड़ियों पर लौकी के रस में अरंडी का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है |

२] मानसिक तनाव, पित्तजन्य समस्याएँ आदि : लौकी के ४०-५० ग्राम रस में चौथाई चम्मच जीरा चूर्ण व एक चम्मच शहद मिलाकर प्रात:काल खाली पेट लेने से मानसिक तनाव (depression) में लाभ होता है | यह अनिद्रा, मिर्गी तथा ज्ञानतंतुओं से संबंधित अन्य रोगों के उपचार में उत्तम प्रभाव दिखाता है | इससे ह्रदय की स्नायुओं को बल मिलता है | अम्लपित्त, छाती में जलन आदि पित्तजन्य समस्याओं में भी यह लाभदायी है |

३] पेशाब की जलन : लौकी के १ कप रस में थोडा-सा नींबू का रस व १ छोटा चम्मच धनिया चूर्ण मिला के लेने से शीघ्र आराम मिलता है |

४] मधुमेह(diabetes) व रक्तचाप (blood pressure) में : ४०- ५० मि.ली. रस का सुबह खाली पेट सेवन रक्त-शर्करा के स्तर को स्थिर करने तथा रक्तचाप को सामान्य रखने में सहायक है |

सावधानियाँ : १) कड़वी लौकी में विषैले द्रव्य होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं | इंजेक्शन देकर कृतिम रूप से बड़ी की गयी लौकी का सेवन कैंसर का खतरा उत्पन्न करता है | अत: छोटी, ताज़ी व कोमल लौकी लें तथा उपयोग से पूर्व चख लें, कड़वी न हो तो ही उसका उपयोग करें |
२) जब रस निकालना हो उसी समय लौकी काटें एवं रस का सेवन भी तुरंत करें | लौकी के रस को किसी भी सब्जी या फल के रस में मिलाकर न पियें |
३) सर्दी, खाँसी, दमा आदि कफजन्य रोगों में लौकी का उपयोग न करें |
४) नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है |
लोककल्याणसेतु – फरवरी २०१९ से

No comments: