१५ मार्च : षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल:सूर्योदय से दोपहर
१२-४८ तक ) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का ८६,०००
गुना फल )
१७ मार्च : आमलकी एकादशी (व्रत करके आँवले के वृक्ष के पास
रात्रि-जागरण, उसकी १०८ या २८ परिक्रमा
से सब पापों से मुक्ति और १००० गोदान का फल), रविपुष्यामृत योग (सूर्योदय से रात्रि
१२-१२ तक )
२० मार्च : होलिका दहन (रात्रि-जागरण, जप, मौन और ध्यान
बहुत ही लाभदायी )
ऋषिप्रसाद – फरवरी २०१९ से
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