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Thursday, February 7, 2019

अचल जप साधना


इसमें नियम, संयम, संकल्प होता है, स्थान तथा जप की संख्या निश्चित होती है | जप करते समय हमें अर्थिग न मिले ऐसे विद्युत् के कुचालक आसन पर बैठकर या लेट के भी जप किया जा सकता है | लेटने की अपेक्षा बैठना बहुत अच्छा है | इस प्रकार जप करने को बोलते हैं अचल जप |

अचल जप की संख्या : यदि एक अक्षर का मंत्र हो तो १,११,११० ,मंत्रजप करने से वह मंत्र सिद्ध हो जाता है | एक से अधिक अक्षरोंवाले मंत्र के लिए मंत्र में जितने अक्षर हैं उस संख्या को १,११,११० से गुणा करने पर अनुष्ठान की जप-संख्या प्राप्त होती है | जैसे – ‘ॐ नम: शिवाय |’ षडक्षरी मंत्र है तो ६,६६,६६० जप एवं १२ अक्षर के ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |’ मंत्र के लिए १३,३३,३२० जप करना होता है ( इसमें अनुष्ठान के दिनों व मंत्रजप की संख्या के अनुसार प्रतिदिन की मालाएँ निश्चित कर जप करें ) | 

उस सिद्ध मंत्र के साधक की अकाल मृत्यु नहीं हो सकती है | और दैवयोग से अकाल मृत्यु की घटनावाले लोगों के बीच बैठा हो तो भी उसका बाल तक बाँका नहीं होगा |

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०१९ से

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