सृष्टि
– संहार के समय कालभैरव जैसा भयंकर रूप धारण करते हैं, वैसी ही शारीरिक स्थिति इस
आसन में होती है अत: इसे सिद्धों ने ‘कालभैरवासन’ कहा है |
लाभ
: इस आसन के नियमित अभ्यास से –
१]
शरीर में दृढ़ता व स्फूर्ति आती है और
आंतरिक बल भी बढ़ता है | निर्भीकता आती है |
२]
जिव्हा व गले के रोग और टॉन्सिल्स की तकलीफ में आराम मिलता है |
३]
चेहरे पर होनेवाले फोड़े-फुँसियाँ ठीक हो जाते हैं व अद्भुत कांति आ जाती है |
४]
सीना चौड़ा व सुंदर हो जाता है |
५]
यह आँखों के लिए भी अत्यंत उपयोगी माना गया है |
लोककल्याणसेतु – फरवरी २०१९ से
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