महाभारत में आता है :
१] जो धर्म एवं कल्याण-मार्ग में तत्पर हैं और मोक्ष के
विषय में जिनका निरंतर अनुराग है वे विवेकी हैं |
२] जो अपने घर पर आ जाय उसे आत्मीयताभरी दृष्टी से देखें,
उठकर उसके लिए आसन दें, मन से उसके प्रति उत्तम भाव रखें, मधुर वचन बोले | यह
गृहस्थियों का सनातन धर्म है | अतिथि को आते देख उठकर उसकी अगवानी और यथोचित रीति
से आदर-सत्कार करें |
३] प्यासे को पानी, भूखे को भोजन, थके-माँदे को बैठने के
लिए आसन और रोग आदि से पीड़ित मनुष्य के लिए सोने हेतु शय्या देनी चाहिए |
४] गृहस्थ के भोजन में देवता, पितर, मनुष्य एवं समस्त
प्राणियों का हिस्सा देखा जाता है |
५] नित्य प्रात: एवं सायंकाल कुत्तों और कौओं के लिए
पृथ्वी पर अन्न डाल दें |
६] निकम्मे पशुओं की भी हिंसा न करें और जिस वस्तु को
विधिपूर्वक देवता आदि के लिए अर्पित न करें, उसे स्वयं भी न खायें |
७] यज्ञ, अध्ययन, दान, तप, सत्य, क्षमा, मन और इन्द्रियों
का संयम तथा लोभ का परित्याग – ये धर्म के ८ मार्ग हैं |
पूर्णतया संकल्पों को एक ध्येय में लगा देने से, इद्रियों
को भली प्रकार वश में कर लेने से, अहिंसा आदि व्रतों का अच्छी प्रकार पालन करने
से, भली प्रकार सदगुरु की सेवा करने से, कर्मों को भलीभाँति भगवतसमर्पण करने से और
चित्त का भली प्रकार निरोध करने से मनुष्य परम कल्याण को प्राप्त होता है |
लोककल्याणसेतु- फरवरी २०१९ से
No comments:
Post a Comment