हजारों प्रतिकूलताओ में भी जो निराश नहीं होता, हजारों विरोधों में भी जो सत्य को नहीं छोड़ता, हजारों मुसीबतों में भी जो पुरुषार्थ को नहीं छोड़ता, वह अवश्य-अवश्य विजयी होता है और आपको विजयी होना ही है | लौकिक युद्ध के मैं दान में तो कई विजेता हो सकता हैं लेकिन आपको तो उस युद्ध में विजयी होना है जिसमें बड़े-बड़े योद्धा भी हार गये | आपको तो ऐसे विजयी होना है जैसे ५ वर्ष की उम्र में ध्रुव, ८ वर्ष की उम्र में रामी रामदास, अल्पायु में ही शुकदेवजी व ७ दिन में राजा परीक्षित विजयी हो गये ( उन्होंने ईश्वरप्राप्ति कर ली ) |
ऋषिप्रसाद
– अगस्त २०२० से
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