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Tuesday, August 11, 2020

कैसे पायें अम्लपित्त से छुटकारा ?

 

ऋतू-प्रभाववश चतुर्मास के पहले दो महीनों में शरीर में पित्त का संचय होने लगता है | इस पित्त का शरद ऋतू ( २२ अगस्त से २१ अक्टूबर) में प्रकोप होता है | इस समय यदि पचने में भारी, तले हुए, खट्टे या मसालेदार पदार्थों का सेवन किया जाय तो वे पित्त को दूषित कर अम्लपित्त उत्पन्न करते हैं | मन्दाग्नि से उत्पन्न होने से अम्लपित्त में पथ्य-अपथ्य का ध्यान रखना जरूरी है |

अम्लपित्त हो तो

क्या करें

१] खुलकर भूख लगने पर ही अल्प मात्रा में सुपाच्य व सात्त्विक भोजन करें | अपना खान-पान व शयन का समय जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या  के अनुसार रखें | शाम के भोजन व सोने के समय में २ से ३ घंटे का अंतर रखें |

२] आहार में जौ, ज्वार, मूँग, पुराने चावल, लाल चावल, परवल, लौकी, गिल्की, तोराई, भिंडी, बथुआ, कुम्हड़ा, अनार, आँवला, उबालकर ठंडा किया जल, देशी गाय का दूध व घी आदि का समावेश करें |

३] नियमित चलने, आसन व कसरत करने का नियम रखें | भोजन के बाद ५ मिनट वज्रासन में बैठना विशेष लाभदायी है |

४] शतावरी चूर्ण  दूध के साथ लेने से पुराने अम्लपित्त में भी लाभ होता है |           

५] भोजन के बाद आधा चम्मच आँवला चूर्ण लेने से गले व छाती में जलन आदि जल्दी ठीक होता है | रात्रि देशी गोदुग्ध ले सकते हैं |

क्या न करें

१] असमय , आवश्यकता से अधिक एवं जल्दी-जल्दी बिना चबाये भोजन न करें | भोजन करते समय २०० मिली से अधिक पानी न पियें | (भोजन के डेढ़ घंटे बाद पानी पीना हितावह है |)

२] छोले, राजमा, उड़द, मावा, मिठाई आदि पचने में भारी तथा खट्टे, तीखे, खमीरीकृत एवं तले हुए व नमकीन पदार्थ, तुअर, कुलथी, दही, पनीर, तिल, गरम मसाले, लहसुन आदि पित्तवर्धक पदार्थों का सेवन न करें |

३] विरुद्ध (दूध के साथ फल, नमकीन या खट्टे पदार्थों का सेवन ) एवं बासी पदार्थ, फास्ट फ़ूड, कोल्डड्रिंक्स व बेकरी पदार्थों का सेवन न करें | दिन में न सोयें, रात्रि जागरण न करें |

४] जलन शांत करने हेतु आइसक्रीम, फ्रिज का ठंडा पानी आदि का सेवन न करें |

५] अम्लपित्त मिटाने के लिए अंग्रेजी दवाइयों का सेवन न करें |


ऋषिप्रसाद – अगस्त २०२० से

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