२२ अगस्त : गणेश
चतुर्थी ( चन्द्र-दर्शन निषिद्ध, चन्द्रास्त – रात्रि ९:४९) (इस दिन ‘ॐ गं गणपतये
नम: |’ का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर
की आहुति देने से विघ्न-निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढती है |
इस दिन
चन्द्र-दर्शन से कलंक लगता है | यदि भूल से भी चन्द्रमा दिख जाय तो उसके कुप्रभाव
को मिटाने के लिए इस लिंक पर दि गयी ‘सय्मंतक मणि की चोरी की कथा’ पढ़ें :
ब्रह्मवैवर्त पुराण के निम्न मंत्र का २१, ५४ या १०८ बार जप करके पवित्र किया हुआ
जल पियें |
सिंह: प्रसेनमवधीत सिंहो जाम्बवताहत: |
सुकुमारक मारोदीस्तव
ह्येषस्यमन्तक: ||
२६ अगस्त :
बुधवारी अष्टमी ( सूर्योदय से सुबह १०:४० तक)
२९ अगस्त : पद्मा
एकादशी (व्रत करने व माहात्म्य पढ़ने – सुनने से सब पापों से मुक्ति )
१ से १७ सितम्बर :
महालय श्राद्ध
१३ सितम्बर : रविपुष्यामृत
योग (शाम ४:३४ से १४ सितम्बर सूर्योदय तक), इंदिरा एकादशी (बड़े-बड़े पापों का नाशक
तथा नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी सद्गति देनेवाला व्रत )
१६ सितम्बर : षडशिति
संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर १२:३४ से सूर्यास्त) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का ८६,०००
गुना फल )
१७ सितम्बर : सर्व
पित्री अमावस्या का श्राद्ध
१८ सितम्बर से १६ अक्टूबर
: पुरुषोत्तम मास ( इसमें केवल ईश्वर के उद्देश्य से जो जप, सत्संग, कीर्तन, व्रत,
उपवास, स्नान, दान, पूजन किये जाते हैं उनका अक्षय फल होता है |)
ऋषिप्रसाद
– अगस्त २०२० से
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