हम १ दिन में लगभग १-१.५ किलो भोजन करते हैं, २.५ लीटर पानी पीते हैं , उससे जो शक्ति बनती है वह पर्याप्त नहीं हैं | हम १ दिन में २१,६०० श्वास लेते हैं | जल और भोजन से शक्ति मिलती है उससे १० गुनी शक्ति हम श्वासोच्छवास से लेते हैं अत: अधिक-से-अधिक शुद्ध हवामान का फायदा उठाना चाहिए | शौचालय आदि में वायु-निकासी पंखा होना ही चाहिए |
देशी गाय के गोबर
के कंडे पर अथवा गौ-चंदन धूपबत्ती पर घी अथवा खाद्य तेल की बूँदे टपका के निवास की
प्राणवायु को उर्जावान बनाना चाहिए | यदि इस प्रकार ८-१० मि.ली. घी की बुँदे डालकर
धुप करते हैं तो एक टन शक्तिशाली वायु बनती है | आजकल शुद्ध घी मिलना कठिन-सा है |
डेयरी आदि अथवा पैकेटो में क्या -क्या मिलावटवाला आता है | इसकी अपेक्षा प्राणायाम
करते समय घानीवाले खाद्य तेल, नारियल तेल से
उस जगह पर ख़ास धुप करें | (खाद्य तेल यानी
रिफाइन किया हुआ हानिकारक तेल नहीं | रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया में बहुत
सारे हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है, ऐसा कहा गया है |)
रसायन की सुंगधवाली अगरबत्तियों से घर की वायु हानिकारक हो सकती है अत: उनका उपयोग
हितकर नहीं है | तुलसी का पौधा निवास में अवश्य हो | पौधे को चन्द्रमा और सूर्य की
किरणें मिले इसका भी खयाल रखना चाहिए |
अपने निवास-स्थान
पर बिल्वपत्र व कुछ फूल युक्ति से रखें ताकि उनकी सुगंध आदि का फायदा मिलता रहें |
बिल्वपत्र ६ महीने तक बासी नहीं होते |
लोककल्याणसेतु
– अगस्त २०२० से
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