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Tuesday, August 11, 2020

इससे व्यक्ति त्रिलोचन बन जाता है

भगवन्नाम – जो गुरुमंत्र मिला है उसको जितना दृढ़ता से जपता है उतना ही उस मंत्र की अंत:करण में छाया बनती है, अंत:करण में आकृति बनती है, अपने चित्त के आगे आकृति बनती है | कभी-कभी भ्रूमध्य में (दोनों भौंहों के बीच ) मंत्र जपते-जपते ध्यान करना चाहिए | मानो ‘राम’ मंत्र है तो ‘श्रीराम’ शब्द, ‘हरि ॐ’ मंत्र है तो ‘हरि ॐ’ शब्द भ्रूमध्य में दिखता जाय अथवा और कोई मंत्र है तो उसके अक्षरों को देखते-देखते भ्रूमध्य में जप करें तो तीसरा नेत्र खोलने में बड़ी मदद मिलती है | उसको बोलते हैं ज्ञान-नेत्र, शिवनेत्र | इससे व्यक्ति त्रिलोचन बन जाता है |


ऋषिप्रसाद – अगस्त २०२० से

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