यह आसन दोनों हाथों को ऊपर की तरफ बल देते हुए किया जाता है, इसलिए इसका नाम
ऊर्ध्वहस्तोत्तानासन है |
लाभ : १] कब्ज दूर करने में यह आसन बहुत लाभदायी है |
२] सीना चौड़ा व कमर पतली हो जाती है और नितम्बों की अनावश्यक चरबी दूर हो जाती
है |
३] लम्बाई बढ़ती है | पसली आदि के दर्द में लाभ होता है |
४] यह आसन शंख –प्रक्षालन की शोधन – क्रिया में (जिसमें पेट की सम्पूर्ण आँतो
की सफाई हो जाती है ) किया जाता है | इस आसन के बिना शंख-प्रक्षालन हो ही नही सकता
|
विधि : सीधे खड़े होकर दोनों हाथों की उँगलियों को आपस में फँसा के हाथ ऊपर की
ओर उठाये | हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें | हाथों को ऊपर की ओर खींचते हुए शरीर में
खिंचाव लायें और धीरे – धीरे जितना हो सकते बायीं तरफ झुके | कुछ क्षण इस स्थिति
में रहे फिर धीरे – धीरे सामान्य स्थिति में आ जाये | इसके बाद दायी तरफ झुकें |
इस प्रकार दोनों तरफ झुकें | इसे यथासम्भव दोहरायें |
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जनवरी २०१६ से
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