२५० ग्राम बबूल की गोंद घी में सेंककर बारीक पीस लें | इसमें बराबर मात्रा में
पिसी हुई मिश्री मिला लें | १२५ ग्राम बीज निकाले हुए मुनक्के और ५०० ग्राम छिलके
उतारे हुए भिगोये बादाम कूट के इसमें मिला लें |
सुबह १ चम्मच (१० – १५ ग्राम) मिश्रण खूब चबा – चबाकर खायें | साथ में एक
गिलास मिश्री डालकर दूध घूँट – घूँट पियें | इसके बाद २ घंटे तक कुछ नहीं खायें |
जब खूब अच्छी भूख लगे, तभी भोजन करें | यह लोग हड्डियों की मजबूती के साथ ही
दिमागी ताकत और तरावट के लिए भी बहुत गुणकारी है | बौद्धिक कार्य करनेवालों व
विद्यार्थियों के लिए यह योग विशेष लाभकारी है |
पुष्टिकारक खीर : २ छोटे चम्मच सिंघाड़े का आटा, २ चम्मच घी व स्वादानुसार
मिश्री लें | सिंघाड़े के आटे को मंद आँच पर लाल होने तक भुनें | जब अच्छी तरह भुन
जाय, तब ३०० मि. ली. दूध डालकर पकायें | तैयार होने पर मिश्री, इलायची मिला लें |
यह स्वादिष्ट तथा पौष्टिक खीर है | यह प्रयोग गर्भिणी व प्रसूता माताओं के लिए
विशेष लाभदायी है |
बल्य और पुष्टिकारक प्रयोग : पके हुए १ केले का गूदा, १ चम्मच शहद व थोड़ी – सी
मिश्री एक साथ घोंट लें और १ चम्मच आँवले का रस मिलाकर खायें | इससे वीर्यस्त्राव
तथा वीर्य-विकार में लाभ होता है | बल
बढ़ता है व वीर्य गाढ़ा होता है |
ध्यान दें : प्रयोगों में दिये गये द्रव्यों की मात्रा अपनी पाचनशक्ति के
अनुसार लें | इन दिनों भोजन सुपाच्य व खुलकर भूख लगने पर ही करें | दूध के सेवन के
बाद २ घंटे तक कुछ न लें |
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जनवरी २०१६ से
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