यह उत्तम बलवर्धक है | इसके
सेवन से ८० प्रकार के वातरोग, ४० प्रकार के पित्तरोग, २० प्रकार के कफरोग, ८
प्रकार के ज्वर, १८ प्रकार के मूत्ररोग तथा नाक, कान, मुख, नेत्र व मस्तिष्क के रोग
एवं वस्तिशूल, योनिशूल व अन्य अनेक रोग नष्ट हो जाते हैं |
ये आप – अपने नजदीकी संत
श्री आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्र से प्राप्त कर सकते हैं |
स्त्रोत
– लोककल्याण सेतु – नवम्बर २०१६ से
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