आसन बिछाकर प्रणव ( ॐकार ) का ३ मिनट ह्रस्व (जल्दी – जल्दी ) व दीर्घ और ५
मिनट प्लुत (दीर्घ से अधिक लम्बा ) उच्चारण करना चाहिए | कभी कम – ज्यादा हो जाय
तो डरना नहीं | ४० दिन का यह नियम ले लों तो बहुत सारी योग्यताएँ जो सुषुप्त हैं,
वे विकसित हो जायेंगी | मन की चंचलता मिटने लगेगी, बुद्धि के दोष दूर होने लगेंगे
| सदा करते रहो तो बहुत अच्छा |
अपने भाग्य की रेखा बदलनी हो, अपनी ७२, ७२, १०, २०१ नाड़ियों की शुद्धि करनी हो
और अपने मन और बुद्धि को मधुमय करना हो तो संध्या के समय १०- १५ मिनट विद्युत् –
कुचालक आसन बिछाकर जप करें | भाग्य के कुअंक मिटा देगा यह प्रयोग |
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – फरवरी २०१६ से
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