तुलसी शारीरिक व्याधियों को तो दूर करती ही है, साथ ही मनुष्य के आंतरिक भावों
और विचारों पर भी कल्याणकारी प्रभाव डालती है | ‘अथर्ववेद’ में आता है यदि त्वचा,
मांस तथा अस्थि में महारोग प्रविष्ट हो गया तो उसे श्यामा तुलसी नष्ट कर देती है |
दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी – पत्ते चबाने से पाचनशक्ति मजबूत होती है | दूषित
पानी में तुलसी के कुछ ताजे पत्ते डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है |
बर्रे, भौंरा, बिच्छू ने काटा हो तो उस स्थान पर तुलसी के पत्ते का रस लगाने
या तुलसी-पत्ता पीसकर पुलटिस बाँधने से जलन व सूजन नहीं होती है |
तुलसी के बीज बच्चों को भोजन के बाद देने से मुखशुद्धि होने के साथ – साथ पेट
के कृमि भी मर जाते हैं | तुलसी – बीज नपुंसकता को नष्ट करते हैं और पुरुषत्व के
हाम्रोंस की वृद्धि भी करते हैं |
शास्त्रों में आता है कि जिनके घर में लहलहाता तुलसी का पौधा रहता है, उनके
यहाँ वज्रपात नहीं हो सकता अर्थात जब तुलसी अचानक प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाय तब
समझना चाहिए कि घर पर कोई भारी संकट आनेवाला है |
बच्चों को तुलसी – पत्र देने के साथ सूर्यनमस्कार करवाने और सूर्य को अर्घ्य
दिलवाने के प्रयोग से बुद्धि में विलक्षणता आती है | तुलसी की क्यारी के पास
प्राणायाम करने से सौन्दर्य, स्वास्थ्य और तेज की अत्युत्तम वृद्धि होती है |
प्रात: काल खाली पेट दो – तीन चम्मच तुलसी रस सेवन करने से शारीरिक बल एवं
स्मरणशक्ति में वृद्धि के साथ –साथ व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होता है |
अत: जीवन को उन्नत बनाने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को २५ दिसम्बर को तुलसी –
पूजन अवश्य करना चाहिए |
[तुलसी – पूजन विधि तथा तुलसी की उपयोगिता से संबंधित विस्तृत जानकारी हेतु
पढ़ें ‘तुलसी रहस्य’ पुस्तक अथवा ऋषि प्रसाद, दिसम्बर २०१५ का अंक देखे ]
स्त्रोत
– लोककल्याण सेतु – नवम्बर २०१६ से
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