चतुर्मास में विद्यार्थी जहाँ भी हैं, अनुष्ठान चालू करें | बाल संस्कारवाले भी लग जायें | रोज सारस्वत्य मंत्र
का १७० माला जप करें, मौन रहें, ध्यान
करें, अकेले में श्वासोच्छवास गिनें..... तो उन बच्चों को
प्रमाणपत्र लेकर नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, नौकरी तो
उनके चरणों की दासी बन जायेगी और सफलता उनके चरण चूमने का इन्तजार करेगी | लेकिन
मेरे बच्चे, नहीं रहते कच्चे ! वे सफलता के गुलाम नहीं रहते, वे तो भगवान और सद्गुरु के प्यारे रहते हैं |
ऋषिप्रसाद – जुलाई २०२० से
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