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Thursday, July 23, 2020

पृथ्वी मुद्रा





लाभ : मूलाधार चक्र से संबंध रखनेवाली इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से –

१] शरीर का वजन बढ़ता है |

२] त्वचा की कांति बढ़ती है |

३] शारीरिक दुर्बलता दूर होती है |

४] ताजगी व स्फूर्ति कि प्राप्ति होती है |

५] व्यक्ति संतोषी व उत्साही बनता है |

६] कार्यक्षमता एवं दक्षता में वृद्धि होती है |

७] शरीर में रक्त- परिचलन स्मर्थरूप से रहकर शरीर सभी प्रकार से तंदुरुस्त रहता है |

८] आरोग्य की प्राप्ति व तेज में वृद्धि होती है |

९] शरीर के सभी खनिज तत्त्वों का संतुलन होता है |

१०] पृथ्वी – तत्त्व संतुलित होता है, जिससे इसके असंतुलन से होनेवाले रोगों से रक्षा होती है |

विधि : पद्मासन, सुखासन आदि किसी आसन में बैठ जाएँ ( वज्रासन में बैठना विशेष लाभदायी है ) | अनामिका (सबसे च्चोती ऊँगली के पासवाली ऊँगली ) के अग्रभाग को अँगूठे के अग्रभाग से स्पर्श करायें | शेष तीनों उँगलियाँ सीधी रखें |

समय : कम-से-कम ३० मिनट



लोककल्याणसेतु – जुलाई २०२० से

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