भगवान और संत भाव के भूखे हैं अत: मन – ही – मन राखी
अर्पण करके मन से बाँध देना, पुण्यमय भाव लाना |
यहाँ सारी राखियाँ मेरे तक नहीं पहुँच पाती हैं | यदि राखियाँ नहीं भेजेंगे तो
आज्ञा मानने का पुण्य होगा उअर अगर भेजेंगे तो आज्ञा का उल्लंघन करके भजेंगे इसलिए
अवज्ञा करने का भो दोष होगा |
ऋषिप्रसाद – जुलाई २०२० से
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