१) ध्यान
व जप अनेक रोगों में लाभदायी होता है | इससे औषधीय उपचारों की आवश्यकता कम पड़ती है
| ध्यान के समय अनेक प्रकार के सुखानुभुतिकारक मस्तिष्क – रसायन आपकी
तंत्रिका-कोशिकाओं को सराबोर करते हैं | सेरोटोनिन, गाबा, मेलाटोनिन आदि महत्त्वपूर्ण रसायनों में बढ़ोत्तरी हो जाती है | इससे तनाव,
अवसाद, अनिद्रा दूर भाग जाते हैं व मन में आह्लाद, प्रसन्नता
आदि सहज में उभरते हैं |
रटगर्स विश्वविद्यालय, न्यूजर्सी के शोधकर्ताओं
ने पाया कि ध्यान के अभ्यास्कों में मेलाटोनिन का स्तर औसतन ९८% बढ़ जाता है |
किसी-किसीमें इसकी ३००% से अधिक की वृद्धि हुई | मेलाटोनिन के कार्य हैं तनाव कम
करना, स्वस्थ निद्रा, रोगप्रतिकारक प्रणाली को सक्रिय
करना, कैंसर तथा अन्य शारीरिक-मानसिक रोगों से रक्षा करना |
२) टमाटर,
फूलगोभी, अजवायन व संतरा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाते हैं अत: भोजन में इनका उपयोग
करें | हल्दी, जीरा, दालचीनी एवं धनिया
का उपयोग करें | परिस्थितियों को देखते हुए अल्प मात्रा में लहसुन भी डाल सकते हैं
|
३) १५०
मि.ली. दूध में आधा छोटा चम्मच हल्दी डाल के उबालकर दिन में १ – २ बार लें |
४) रोगप्रतिरोधक
शक्ति बढ़ाने हेतु प्राणदा टेबलेट, ब्राह्म रसायन, होमियो तुलसी गोलियाँ, तुलसी अर्क (१०० मि.ली. पानी में १ से ५ बूँद आयु
व प्रकृति अनुसार ), होमिओ पॉवर केअर आदि का सेवन लाभदायी है |
ऋषिप्रसाद – जुलाई २०२० से
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