जन्माष्टमी का यह
संदेश है कि आप किसी भी जाति के हों, किसी भी
मजहब के हों लेकिन आपको जन्माष्टमी का फायदा लेना चाहिए | जैसे अब ऋतू – परिवर्तन
होगा | वर्षा ऋतू पूरी होगी और शरद ऋतू
शुरू होगी | इस ऋतू को रोगों की माँ कहते हैं :
रोगाणां शारदी
माता |
शरीर में जमा हुआ
पित्त है वह उभरेगा | गर्मी-संबंधी बीमारियाँ आयेंगी | ये बीमारियाँ आयें उसके
पहले जन्माष्टमी के निमित्त गर्मी को शांत करनेवाला मक्खन-मिश्री का प्रसाद मिलता
है यह कैसी व्यवस्था है !
जन्माष्टमी की
सुबह जौ-तिल का उबटन बना के स्नान करोगे तो विशेष फायदा होगा अथवा देशी गाय का
गोबर या सप्तधान्य उबटन लगा के स्नान करना | पंचगव्य का पान भी आयु – आरोग्य देता
है और मन- बुद्धि को पावन करता है |
जन्माष्टमी के इस
पावन पर्व पर तेजस्वी पूर्णावतार श्रीकृष्ण की जीवनलीलाओं, उपदेशों व उनकी समता एवं उनके साहसिक आचरण से पाठ सीखो | अनुकूल-प्रतिकूल
परिस्थिति में सम रहो व प्रसन्न रहो | स्वयं अपने धर्म में स्थित रहकर दूसरों को
भी धर्म के रास्ते पर मोड़ते रहो | सफल जीवन जीने की पद्धति यही है |
लोककल्याण
सेतु – जुलाई २०२० से
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