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Thursday, July 23, 2020

कृष्णजन्माष्टमी का पावन संदेश


जन्माष्टमी का यह संदेश है कि आप किसी भी जाति के हों, किसी भी मजहब के हों लेकिन आपको जन्माष्टमी का फायदा लेना चाहिए | जैसे अब ऋतू – परिवर्तन होगा | वर्षा ऋतू पूरी होगी  और शरद ऋतू शुरू होगी | इस ऋतू को रोगों की माँ कहते हैं :
रोगाणां शारदी माता |

शरीर में जमा हुआ पित्त है वह उभरेगा | गर्मी-संबंधी बीमारियाँ आयेंगी | ये बीमारियाँ आयें उसके पहले जन्माष्टमी के निमित्त गर्मी को शांत करनेवाला मक्खन-मिश्री का प्रसाद मिलता है यह कैसी व्यवस्था है !

जन्माष्टमी की सुबह जौ-तिल का उबटन बना के स्नान करोगे तो विशेष फायदा होगा अथवा देशी गाय का गोबर या सप्तधान्य उबटन लगा के स्नान करना | पंचगव्य का पान भी आयु – आरोग्य देता है और मन- बुद्धि को पावन करता है |

जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर तेजस्वी पूर्णावतार श्रीकृष्ण की जीवनलीलाओं, उपदेशों व उनकी समता एवं उनके साहसिक आचरण से पाठ सीखो | अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थिति में सम रहो व प्रसन्न रहो | स्वयं अपने धर्म में स्थित रहकर दूसरों को भी धर्म के रास्ते पर मोड़ते रहो | सफल जीवन जीने की पद्धति यही है |


लोककल्याण सेतु – जुलाई २०२० से 

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